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सफलता का सबक
Moral Story सफलता का सबक:- एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा जी के पास गाँव घूमने आया। एक दिन वो बड़ा खुश था, उछलते-कूदते वो दादाजी के पास पहुंचा और बड़े गर्व से बोला, "जब मैं बड़ा होऊंगा तब मैं बहुत सफल आदमी बनूँगा। क्या आप मुझे सफल होने के कुछ टिप्स दे सकते हैं?’’ (Moral Stories | Stories)
दादा जी ने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया, और बिना कुछ कहे लड़के का हाथ पकड़ा और उसे करीब की पौधशाला में ले गए। वहां जाकर दादा जी ने दो छोटे-छोटे पौधे खरीदे और घर वापस आ गए। वापस लौट कर उन्होंने एक पौधा घर के बाहर लगा दिया और एक पौधा गमले में लगा कर घर के अन्दर रख दिया।
‘‘क्या लगता है तुम्हे, इन दोनों पौधों में से भविष्य में कौन सा पौधा अधिक सफल होगा?’’ दादा जी ने लड़के से पूछा। (Moral Stories | Stories)
लड़का कुछ क्षणों तक सोचता रहा और फिर बोला, ”घर के अन्दर वाला पौधा ज्यादा सफल होगा क्योंकि वो हर एक खतरे से सुरक्षित है जबकि बाहर वाले पौधे को तेज धूप, आंधी-पानी, और जानवरों से भी खतरा है।’’
दादाजी बोले, "चलो देखते हैं आगे क्या होता है।’’ और वह अखबार उठा कर पढने लगे।
कुछ दिन बाद छुट्टियाँ खतम हो गयीं और वो लड़का वापस शहर चला गया। (Moral Stories | Stories)
इस बीच दादाजी दोनों पौधों पर बराबर ध्यान देते रहे और समय बीतता गया। कुछ साल बाद एक बार फिर...
इस बीच दादाजी दोनों पौधों पर बराबर ध्यान देते रहे और समय बीतता गया। कुछ साल बाद एक बार फिर वो अपने पेरेंट्स के साथ गाँव घूमने आया और अपने दादा जी को देखते ही बोला, ‘‘दादा जी, पिछली बार मैंने आपसे कामयाब होने के कुछ टिप्स मांगे थे पर आपने तो कुछ बताया ही नहीं। पर इस बार आपको जरूर कुछ बताना होगा।’’ (Moral Stories | Stories)
दादा जी मुस्कुराये और लड़के को उस जगह ले गए जहाँ उन्होंने गमले में पौधा लगाया था। अब वह पौधा एक खूबसूरत पेड़ में बदल चुका था।
लड़का बोला, "देखा दादाजी मैंने कहा था न कि ये वाला पौधा ज्यादा सफल होगा।’’ (Moral Stories | Stories)
‘‘अरे, पहले बाहर वाले पौधे का हाल भी तो देख लो’’, और ये कहते हुए दादाजी लड़के को बाहर ले गए।
बाहर एक विशाल वृक्ष गर्व से खड़ा था। उसकी शाखाएं दूर तक फैलीं थीं और उसकी छाँव में खड़े राहगीर आराम से बातें कर रहे थे।
‘‘अब बताओ कौन सा पौधा ज्यादा सफल हुआ?’’ दादा जी ने पूछा। (Moral Stories | Stories)
‘‘ब..ब...बाहर वाला, लेकिन ये कैसे संभव है, बाहर तो उसे न जाने कितने खतरों का सामना करना पड़ा होगा। फिर भी’’, लड़का आश्चर्य से बोला।
दादा जी मुस्कुराए और बोले, ‘‘हाँ, लेकिन चैलेंज फेस करने के अपने रिवार्ड भी तो हैं, बाहर वाले पेड़ के पास आजादी थी कि वो अपनी जड़े जितनी चाहे उतनी फैला ले, अपनी शाखाओं से आसमान को छू ले। बेटे, इस बात को याद रखो और तुम जो भी करोगे उसमे सफल होगे- अगर तुम जीवन भर सेफ ऑप्शन तैयार करते हो तो तुम कभी भी उतना नहीं ग्रो कर पाओगे जितनी तुम्हारी क्षमता है, लेकिन अगर तुम तमाम खतरों के बावजूद इस दुनिया का सामना करने के लिए तैयार रहते हो तो तुम्हारे लिए कोई भी लक्ष्य हासिल करना असम्भव नहीं है। (Moral Stories | Stories)
लड़के ने लम्बी सांस ली और उस विशाल वृक्ष की तरफ देखने लगा। वो दादा जी की बात समझ चुका था, आज उसे सफलता का एक बहुत बड़ा सबक मिल चुका था। (Moral Stories | Stories)
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